Breaking :
||रिम्स में इलाज करा रहा कैदी शाकिब पुलिस को चकमा देकर फरार||लातेहार: स्कॉर्पियो व बाइक की टक्कर में घायल दोनों युवकों की रिम्स में इलाज के दौरान मौत||भाजपा प्रदेश कार्यालय में जश्न का माहौल, बाबूलाल मरांडी बोले देश में मोदी की गारंटी||धनबाद जेल में बंद पूर्व मेयर नीरज सिंह हत्याकांड के आरोपी अमन सिंह की गोली मारकर हत्या||पलामू की महिला विधायक पर सार्वजनिक मंच पर हेमंत सोरेन की टिपण्णी से भाजपा में आक्रोश, कहा- महिलाओं का सम्मान करना भूल गये हैं मुख्यमंत्री||अयोध्या श्रीराम मंदिर से आये पूजित अक्षत को झारखंड के सभी जिलों में भेजने की तैयारी||पलामू: हाइवा की चपेट में आने से बाइक सवार दो युवकों की मौत, सड़क जाम||लातेहार: बालूमाथ में स्कॉर्पियो और बाइक की टक्कर में दो बाइक सवार गंभीर रूप से घायल, रिम्स रेफर||पलामू: देवर ने भाभी को पीट-पीट कर मार डाला, पारिवारिक विवाद में दिया घटना को अंजाम, दो बेटों के साथ गिरफ्तार||लातेहार: मालगाड़ी की चपेट में आने से दो युवकों की मौके पर ही मौत
Monday, December 4, 2023
गारूपलामू प्रमंडललातेहार

पड़ताल: भगवान भरोसे सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था, कई स्कूलों से नदारद मिले शिक्षक

गोपी कुमार सिंह/गारू

लातेहार : जिले के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। आलम यह है कि किसी स्कूल में शिक्षक नहीं हैं तो कहीं समय से पहले ही शिक्षक स्कूल से गायब हो जा रहे हैं।

लातेहार की ताज़ा ख़बरों के लिए व्हाट्सप्प ग्रुप ज्वाइन करें

ताजा मामला गारू प्रखंड मुख्यालय से सामने आया है। गुरुवार यानी आज कई सरकारी स्कूलों के शिक्षक स्कूल की छुट्टी से पहले स्कूल से नदारद दिखे। लिहाजा स्कूल के छात्र-छात्राएं मध्याह्न भोजन के बाद स्कूल की छुट्टी होने तक इधर-उधर भटकते नजर आये।

निर्धारित समय से पहले ही गायब मिले शिक्षक

The News Sense की पड़ताल में विजयपुर गांव स्थित राजकीय उत्कृमित मध्य विद्यालय के शिक्षक निर्धारित समय से पहले ही स्कूल से गायब पाये गये। बच्चों को भी नहीं पता था कि शिक्षक कहां हैं। शिक्षकों की लापरवाही का आलम यह है कि विजयपुर गांव के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कक्षा सात में पढ़ने वाला छात्र स्कूल का नाम तक नहीं जानता।

मध्याह्न भोजन के मेन्यू में गड़बड़ी

इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को दिये गये मध्याह्न भोजन के मेन्यू में शिक्षक द्वारा बड़ी गड़बड़ी सामने आयी है। स्कूल के छात्र धीरज किसान ने बताया कि दो दिन से स्कूली बच्चों को एक ही तरह का खाना दिया जा रहा है। जबकि मेन्यू के अनुसार हर दिन अलग-अलग तरह का खाना देना होता है।

कड़ाके की ठंड के बावजूद बच्चों के पास स्वेटर और जूते नहीं

कड़ाके की ठंड के बावजूद इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पास न तो स्वेटर हैं और न ही जूते। इतना ही नहीं कई बच्चों के पास स्कूल यूनिफॉर्म तक नहीं है। हालांकि किस वजह से उनके पास स्वेटर, जूते और ड्रेस नहीं है। शिक्षक के स्कूल में नहीं होने से यह स्पष्ट नहीं हो सका है। बहरहाल, इतनी ठंड के बावजूद स्कूली छात्रों के पास स्वेटर, जूते नहीं होना शिक्षा विभाग पर बड़ा सवालिया निशान है। बच्चों को ठंड से बचाने के लिए गर्म पोशाक न मिलने से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों के भविष्य के साथ किस कदर खिलवाड़ किया जा रहा है।

मध्यान्ह भोजन के बाद घर चले गये बच्चे

आपको बता दें कि सरकार द्वारा तय समय सारणी के अनुसार शिक्षक को 3 बजे स्कूल छोड़ने के बाद ही कहीं जाना होता है। लेकिन छात्रों के मुताबिक विजयपुर गांव में संचालित स्कूल के शिक्षक गुरुवार को दोपहर तीन बजे से काफी पहले ही स्कूल से निकल गये। लिहाजा बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो पायी। बाद में मध्यान्ह भोजन करने के बाद स्कूली बच्चे भी दोपहर करीब 1.30 बजे स्कूल पर ताला लगाकर घर चले गये। जबकि गारू प्रखंड मुख्यालय में संचालित कई अन्य सरकारी विद्यालयों के शिक्षक भी विद्यालय से अनुपस्थित रहे। लिहाजा स्कूल की छुट्टी होने तक बच्चे दिनभर इधर-उधर खेलते नजर आये।

शिक्षा विभाग के अधिकारी भी गंभीर नहीं

आपको बता दें कि ज्यादातर सरकारी स्कूलों में एक ही शिक्षक हैं जिस पर विभाग की ओर से कागजी कार्रवाई का भारी बोझ डाला जाता है। ऐसे में शिक्षक का पूरा दिन विभागीय कागजों को निपटाने और मध्यान्ह भोजन की सामग्री की व्यवस्था करने में बीत जाता है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई लगातार प्रभावित हो रही है। लेकिन शिक्षा विभाग के आला अधिकारी इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का भविष्य अधर में

गारू के एक शिक्षक ने बताया कि आज सभी सरकारी शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। जिसमें सभी शिक्षक भाग लेने गये थे। ऐसे में पढ़ाई बाधित होना लाजमी है। हालांकि हाल की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के बेहतर भविष्य का निर्माण कैसे हो सकता है?