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हाईकोर्ट ने सरकार को लगायी फटकार, कहा- क्यों नहीं करायी गयी रांची हिंसा की CBI जांच

राज्य के डीजीपी और गृह सचिव से मांगा जवाब

रांची : मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन की अध्यक्षता वाली झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि 10 जून को रांची में हुई हिंसा की सीबीआई जांच क्यों नहीं करायी जानी चाहिए। अदालत ने राज्य सरकार को फटकार लगायी और मौखिक रूप से कहा कि यह ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार मामले की ठीक से जांच करने का इरादा नहीं रखती है।

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राज्य के डीजीपी और गृह सचिव को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश

रांची हिंसा को लेकर दर्ज कुछ मामलों की जांच सीआईडी और कुछ की पुलिस कर रही है। ऐसा करके जांच को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, ताकि सीआईडी और पुलिस की रिपोर्ट में कुछ अंतर हो और फिर जांच खत्म हो जाये। या तो पूरे मामले की जांच सीआईडी से होनी चाहिए थी या पुलिस को पूरे मामले की जांच करनी चाहिए थी, ताकि जांच में कोई विरोधाभास न हो। ऐसे में सरकार के रवैये को देखते हुए कोर्ट किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से जांच करा सकता है। कोर्ट ने राज्य के डीजीपी और गृह सचिव को 15 दिसंबर को कोर्ट में पेश होकर फिजिकली जवाब देने को कहा है।

रांची के तत्कालीन एसएसपी के तबादले का कारण स्पष्ट नहीं

कोर्ट ने उनसे पूछा है कि उक्त घटना के बाद रांची के तत्कालीन एसएसपी के तबादले को लेकर कोर्ट ने जो फाइल मंगवायी है, उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि एसएसपी का तबादला क्यों किया गया है। इस पर डीजीपी और गृह सचिव से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई।

SIT का किया गया था गठन

बेंच ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार ने जांच के लिए पहले SIT का गठन किया, फिर जांच CID को सौंपी गयी लेकिन CID भी कुछ नहीं कर पायी है। सरकार की ओर से कहा गया है कि मानवाधिकार आयोग ने निर्देश दिया है कि घटना में पुलिस कार्रवाई में जहां भी कोई घायल होता है या मरता है, उस घटना की जांच सीआईडी से करायी जा सकती है। इसके तहत डेली मार्केट थाने का मामला सीआईडी को दिया गया था।