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अब झारखंड के सरकारी डॉक्टर कर सकेंगे प्राइवेट प्रैक्टिस, सरकार ने लगी रोक हटाई

रांची : राज्य में सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर लगी रोक हटा ली गई है। मंत्री ने नेपाल हाउस स्थित विकास आयुक्त कार्यालय सभागार में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक में यह घोषणा की। इस दौरान कई अहम एजेंडे पर चर्चा हुई।

बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया है कि सरकारी डॉक्टर अपनी निर्धारित ड्यूटी की अवधि के अलावा प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। इस पर लगी रोक हटा दी गई है। स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग का पत्र सं. 666(3) दिनांक 15.07. 2016 में उल्लिखित निजी प्रैक्टिस की शर्तों पर दिशानिर्देशों के बिंदु 5 और 6 को हटाने का निर्णय लिया गया है।

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वहीं आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से जुड़े अस्पतालों में सरकारी डॉक्टर भी कुछ शर्तों के साथ अधिकतम चार निजी अस्पतालों में सेवा दे सकते हैं, लेकिन विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि डॉक्टर द्वारा दी गई सेवा इस दौरान दी जाए। अपने कर्तव्य के अतिरिक्त अवधि। आयुष्मान से जुड़े काम सरकारी डॉक्टर अपने पदस्थापित सरकारी अस्पताल में ईमानदारी से करते हैं या नहीं।

वहीं, बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि ऐसा कई बार देखा गया है कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर आयुष्मान के 47 मरीज देखते हैं और वही डॉक्टर दो हजार मरीजों को निजी अस्पतालों में देखते हैं। यह एक बड़ा अंतर है। ऐसे में विभाग ने निर्देश दिया है कि हमारे सरकारी डॉक्टर जितने मरीजों का निजी तौर पर आयुष्मान से इलाज करेंगे, उतने ही मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में भी करना होगा। ऐसे में यह निर्णय लिया गया है कि प्रदेश के सरकारी डॉक्टर चार अस्पतालों में ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं।

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बन्ना गुप्ता ने कहा कि चिकित्सा सुरक्षा अधिनियम में जनहित सर्वोपरि होगा। एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। इस पर मुख्यमंत्री से सलाह मशविरा करने के बाद फैसला लिया जाएगा। इस अधिनियम में मरीजों और डॉक्टरों दोनों का ख्याल रखा गया है। इसे जल्द ही आईएमए और झासा के साथ साझा किया जाएगा।