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झारखंड में सियासी संकट के बीच जेएमएम की सलाह, भाजपा का टूल किट बनने से बचें राज्यपाल

रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने आशंका व्यक्त की है कि राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली जाने पर गृह मंत्रालय से परामर्श करने गए होंगे। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल के राजभवन के दौरे के बाद यह स्पष्ट हो गया कि एक सप्ताह पहले भारत निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन के खनन पट्टा मामले में राज्यपाल को अपनी मंशा सौंपी है।

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इससे पहले केवल तैरती खबरों ने ही राज्य में सियासी अफरातफरी का माहौल बना दिया था। इसके पीछे बीजेपी की साजिश है। उन्होंने कहा कि झामुमो को अपने सूत्रों से जानकारी मिली है कि 25 अगस्त को देश का सबसे बड़ा अधिवक्ता राजभवन आया था और अगले दिन दिल्ली लौट आया था। उन्होंने कहा कि किसी भी मामले में सलाह लेना राज्यपाल का विशेषाधिकार है।

सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल देश की राजनीति के अनुभवी और सम्मानित हस्ताक्षर हैं। उन्हें बीजेपी का टूल किट बनने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में आयकर, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई है। झारखंड में इन केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ भारत का चुनाव आयोग भी है। कहा कि झारखंड में राजभवन और राज्यपाल के लिए टूल किट बनाने की साजिश रची जा रही है।

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कोरोना के संकट के बाद महागठबंधन सरकार हर वादे को पूरा करते हुए तेजी से आगे बढ़ रही है। हेमंत सोरेन की स्थिर सरकार और सुशासन को देखकर बीजेपी झारखंड में अपना वजूद खत्म करती दिख रही है। ऐसे में जनता द्वारा चुनी गई लोकतांत्रिक सरकार को परेशान करने और उखाड़ फेंकने का खेल चल रहा है। लेकिन संकट से संघर्ष ही झामुमो की पहचान है।

उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार विशेष सत्र में कई बड़े नीतिगत फैसले लेंगे। उन्होंने हेमंत सरकार के बड़े फैसलों का जिक्र किया और भाजपा पर अपने वादों को पूरा नहीं करने और देश की जनता को गुमराह करने की राजनीति करने का आरोप लगाया।