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लातेहार : अपने 4 साल के बेटे के इलाज के लिए किसी मसीहा की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं दिव्यांग माता-पिता, बच्चे की आँख में है ट्यूमर

लातेहार : सदर प्रखंड के भुसूर पंचायत के सिंजो गांव निवासी दिव्यांग गोपाल प्रसाद व उनकी दिव्यांग पत्नी बेटे के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। गोपाल दोनों आंखों से दिव्यांग है, जबकि पत्नी एक पैर से दिव्यांग है। दोनों साथ में किसी न किसी तरह से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक 4 साल का है और दूसरा 2 साल का है।

दिव्यांग गोपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि मेरे बेटे वात्सल्य की उम्र 4 साल है, जिसकी आंखों में कुछ निशान था। जब मैंने डॉक्टरों को दिखाया तो डॉक्टरों ने बताया कि उसकी आंख में ट्यूमर है। यह सुनकर मैं काफी डर गया कि कहीं मेरा बच्चा भी दिव्यांग न हो जाए।

जब डॉक्टरों ने बताया कि तुम्हारे बेटे की आंख में ट्यूमर है तो मैं रिम्स से पटना तक उसके इलाज के लिए दौड़ा, लेकिन उसका इलाज नहीं हो सका। डॉक्टरों का कहना है कि इसका इलाज आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में किया जा सकता है। जिसके लिए काफी पैसे की जरूरत होती है।

इसके बाद मैंने लातेहार डीसी अबु इमरान के पास बेटे के इलाज के लिए आवेदन दिया। जिसके बाद उन्होंने कहा कि आप जाकर सिविल सर्जन हरेंद्र चंद्र महतो से मिलिए, इस बीमारी के इलाज के लिए ढाई लाख रुपये मिलेंगे।

जिसके बाद मैं लातेहार सिविल सर्जन से मिला, उन्होंने कहा कि आपके बच्चे की आंख में जो बीमारी है वह गंभीर बीमारी में नहीं आता है, जिस कारण आपको तत्काल सहायता के लिए 10 हजार रुपये दिए जाएंगे, जो जल्द ही आपके खाते में भेज दिए जाएंगे। लेकिन आज तक मेरे खाते में एक रुपया भी नहीं आया, मैं इंतजार ही करता रह गया।

दिव्यांग गोपाल ने आगे बताया कि हम जैसे गरीब और असहाय लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा तो किसे मिलेगा, अब मैं किसके पास जाऊं।

आपको बता दें कि दोनों पति-पत्नी दिव्यांग होने के बावजूद किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते है। वे खुद मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। गोपाल बाजार में रस्सी (पगहा) बेचने का काम करता है। इस परिवार के लिए आप दुखी, बेबस और लाचार जैसे शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। अगर उन्हें जल्द सरकारी सहायता नहीं मिली तो एक मासूम बच्चे को विकलांग होने से कोई नहीं बचा पाएगा।


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