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लातेहार: साक्ष्य के अभाव में 35 साल बाद रिहा हुए चर्चित जालिम नरसंहार के आरोपी

लातेहार जालिम नरसंहार

लातेहार : मिथिलेश कुमार प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट जेजे बोर्ड ने चर्चित जालिम हत्याकांड के चार नाबालिग आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया है। जिसमें श्रीकांत सिंह, विजेंद्र सिंह, चंद्रदेव सिंह और अशोक सिंह शामिल हैं।

ज्ञात हो कि सदर थाना क्षेत्र के जालिम गांव में 23 मई 1988 को दो जातियों के बीच झड़प हुई थी, जिसने कुछ ही घंटों में नरसंहार का रूप ले लिया था। जिसमें दोनों पक्षों के कुल आठ लोगों की जान चली गयी थी। मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में चल रही थी। घटना में 40 आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चल रहा था।

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17 जून 2005 को, सत्र अदालत ने सभी अभियुक्तों को हत्या का दोषी पाया, जिनमें से चार अभियुक्तों ने फैसले के दिन किशोर होने का दावा किया। नाबालिगों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले को ट्रायल के लिए किशोर न्याय बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया था और 36 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया था।

किशोर घोषित अभियुक्तों ने किशोर न्याय बोर्ड में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करायी, वर्षों इंतजार के बाद उन्हें फरार घोषित कर दिया गया। बाद में चारों आरोपियों ने किशोर न्याय बोर्ड के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, मामले की स्पीडी ट्रायल करते हुए किशोर न्याय बोर्ड ने सुनवाई शुरू की।

आरोपित किशोर के अधिवक्ता सुनील कुमार ने बताया कि घटना के समय इन आरोपियों की उम्र 14 से 16 वर्ष के बीच थी। आज चारों आरोपियों की उम्र 50 साल से ऊपर है। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल छह गवाहों को किशोर न्यायालय में पेश किया गया। बोर्ड ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में सभी किशोरों को सम्मान सहित बरी कर दिया।

35 साल बाद बरी हुए किशोरों का कहना है कि उन्हें 35 साल बाद न्याय मिला है। उन्हें इस मामले में बेवजह फंसाया गया था। उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा था।

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